Wednesday, November 2, 2016

फार्माकोविजिलेंस में करियर

फार्मा कंपनियों पर दवाइयों के उत्पादन की अहम जिम्मेदारी होती है, जिन्हें डीटेल्ड स्टडी के बाद ही बनाया जाता
है। दवा कंपनियों के लिए की जाने वाली दवाइयों के प्रभाव और रसायनों की यही स्टडी है फार्माकोविजिलेंस। इस
फील्ड के प्रोफेशनल्स की रिपोर्ट के आध्ाार पर ही कंपनियां दवाइयों में सुधार करती हैं। अगर आपको भी केमिस्ट्री और मेडिसिन में रुचि है, तो आप फार्माकोविजिलेंस में करियर बना सकते हैं।
हमारे हेल्थ सेक्टर में बहुत-सी अनियमितताएं हैं, जिनमें दवाइयों की गुणवत्ता भी एक समस्या है। लोगों में जागरूकता की कमी और सुस्त सिस्टम होने के कारण बीमार होने पर हमें कभी-कभार ऐसी दवाइयां लेनी पड़ती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी नहीं उतरतीं। इन कमियों को दूर करने के लिए सरकार के साथ-साथ दवा कंपनियां भी कई रेग्युलेटर्स का इस्तेमाल करती हैं। वे ऐसे प्रोफेशनल्स को हायर करती हैं, जो दवा के प्रभावों का अध्ययन करने में एक्सपर्ट होते हैं और उसके आधार पर कंपनियों को फीडबैक देते हैं। ऐसे एक्सपर्ट्स को हम कहते हैं, फार्माकोविजिलेंटर्स।
क्या है फार्माकोविजिलेंस?
फार्माकोविजिलेंस का सीधा-सा मतलब है, बाजार में भेजे जाने से पहले दवाइयों की जांच-पड़ताल करना। इसके अंतर्गत प्रोफेशनल्स रोगियों पर दवाओं के असर को पहचानकर उनके प्रभावों को मापते हैं और इसकी पूरी जानकारी दवा कंपनियों को देते हैं। इस जानकारी के आधार पर ही दवा कंपनियां अपने उत्पादों में बदलाव करती हैं ताकि उन्हें और बेहतर व सुरक्षित बनाया जा सके।
ये कोर्स जरूरी
इस फील्ड में करियर बनाने के लिए 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषय होने जरूरी हैं। इसके बाद आप फार्मेसी में ग्रेजुएशन या केमिस्ट्री में बीएससी कर सकते हैं। इसके बाद आप फार्माटिकल साइंसेज से पोस्ट
ग्रेजुएट अथवा फार्माकोविजिलेंस में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स करें। फार्माकोविजिलेंस के कोर्स में आपको फार्माकोविजिलेंस इन क्लिनिकल रिसर्च, रेगुलेशन इन फार्माकोविजिलेंस, बेसिक प्रिंसिपल ऑफ फार्माकोविजिलेंस, ड्रग रिएक्शन, रिस्क मैनेजमेंट इन फार्माकोविजिलेंस, मैनेजमेंट ऑफ फार्माकोविजिलेंस डाटा जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। ये दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के प्रभावों को पहचानने में आपको स्किल्ड बनाते हैं।
आय कितनी?
एक फ्रेशर के तौर पर आपकी सैलरी 15-20 हजार रुपए होगी। कुछ अनुभव के बाद आपकी सैलरी 40-50 हजार रुपए हो सकती है।
भविष्य की संभावनाएं
आप बड़ी फार्मा कंपनियों में काम करके अपना करियर शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा आप सरकारी क्षेत्र में ड्रग कंट्रोल और रिसर्च से जुड़े संस्थानों में भी काम कर सकते हैं। इस फील्ड में विदेशों में जाकर काम करने की भी अच्छी संभावनाएं हैं।
कैसी है वर्क प्रोफाइल?
एक फार्माकोविजिलेंटर लैब में दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले रसायनों को टेस्ट करता है। इसके बाद चुनिंदा रोगियों के चिकित्सकीय अतीत (मेडिकल पास्ट) का अध्ययन करके दी जाने वाली दवा के प्रभावों को ऑब्जर्व करता है। उसके सर्टिफिकेशन के बाद ही दवा को बड़े पैमाने पर बनाने का काम किया जाता है। इसके अलावा फार्माकोविजिलेंटर दवा के इस्तेमाल के लिए जरूरी निर्देश निर्धारित करता है।
जरूरी स्किल्स
एक फार्माकोविजिलेंटर में ऑब्जर्व करने की स्किल होनी सबसे ज्यादा जरूरी है क्योंकि आगे की पूरी प्रक्रिया उसके द्वारा दी जाने वाली रिपोर्ट पर ही निर्भर करती है। इसके अलावा उसमें बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल्स का होना भी जरूरी है।

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