Friday, September 2, 2016

सुगंध चिकित्सा में करियर

करियर के क्षेत्र में आ रहे बदलावों के चलते आज ऐसे विकल्पों का बोलबाला है, जो अपने आप में विशेषज्ञता रखते हैं। यह विकल्प पूरी तरह से प्रोफेशनल होते हैं। इन्हीं में से एक विकल्प है सुगंध चिकित्सा (स्मैल थैरेपी) का। ब्रिटेन और यूरोप में लोकप्रियता हासिल करने के बाद सुगंध चिकित्सा ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। 

जहाँ तक भारत की बात की जाए तो हमारी सभ्यता में प्राचीनकाल से ही सुगंध चिकित्सा का बोलबाला रहा है। भारत इत्र, सुगंधित तेलों और इनका उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री का अपना एक विशेष महत्व है। आयुर्वेद में सुगंधित तेलों से शरीर की मालिश करने की विधि का उपयोग होता है इसके अलावा इत्र, धूप, अगरबत्ती जैसी वस्तुएँ भी भारतीय सभ्यता से बहुत लंबे समय से जुड़ी हुई हैं। 

आज सुगंध चिकित्सा न सिर्फ इलाज, बल्कि रोजगार के लिहाज से भी भारत में व्यापक संभावनाओं भरे विकल्प के तौर पर विकसित हो रही है। 

नेचुरल चीजों के प्रति बढ़ते रुझान के कारण आज सेहत सुधार में भी सुगंध चिकित्सा का इस्तेमाल किया जाने लगा है। भारत में सुगंध चिकित्सा के माध्यम से प्रकृति की ओर वापसी की धारणा को फिर से प्रचलित करने का श्रेय अगर किसी को दिया जाए तो इस कतार में शहनाज हुसैन, ब्लॉसम कोचर और भारती तनेजा जैसे नाम उभकर सामने आते हैं, जिन्होंने आम आदमी को ऐसे विकल्प दिए, जिनके चलते वह एक बार फिर से प्राकृतिक उत्पादों में विश्वास करने लगा है। 

प्रकृति के प्रति इसी लगाव के कारण आज भारत के प्राकृतिक उत्पादों की माँग भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खूब देखने को मिल रही है। वर्तमान में आलम यह है कि विज्ञान के विकास के चलते आज यह क्षेत्र बेहद विस्तृत हो गया है और एक इंडस्ट्री के रूप में तब्दील हो चुका है। 

आज भारी संख्या में लोग अपनी बीमारियों का इलाज प्राकृतिक सुगंध चिकित्सा में खोज रहे हैं। आम और खास आदमी की इसी बढ़ती रूचि के कारण सुगंध चिकित्सा आज एक रोजगार विकल्प का रूप ले चुकी है। 


सुगंध चिकित्सा के लगातार बढ़ते प्रभाव के कारण आज देश के कई शिक्षण संस्थानों ने इस विद्या का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी शुरू कर दिया है। आज न केवल सरकारी, बल्कि कई गैर सरकारी संस्थान भी सुगंध चिकित्सा से जुड़े डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्स चला रहे हैं। इन संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया उसी तरह की होती है, जैसे कि अन्य प्रोफेशनल या परंपरागत कोर्सों के लिए होती है।  
इस थेरेपी से जुड़े सर्टिफिकेट स्तर के पाठक्रम में दाखिले के लिए शैक्षणिक योग्यता बारहवीं है। लेकिन अगर आप डिग्री या डिप्लोमा कोर्स करना चाहते हैं तो अधिकांश शिक्षण संस्थानों में दाखिले के लिए आवेदक के पास बारहवीं कक्षा में रसायन विज्ञान विषय होना जरूरी है। सुगंध चिकित्सा के कई प्रोफेशनल पाठक्रमों में केवल कैमिस्ट्री विषय के साथ स्नातक उत्तीर्ण छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता है।

सुगंध चिकित्सा का प्रशिक्षण प्राप्त कर आप एक सुगंध चिकित्सक के रूप में कार्य कर सकते हैं। प्रशिक्षण के उपरांत आप सुगंध चिकित्सक, सुगंधित पदार्थ विक्रेता, परामर्शदाता, सुगंधित पदार्थ के उत्पादन और व्यापार के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इस तरह अगर सही मायनों में देखें तो यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें आपको अपनी क्षमताओं और रुचि के अनुसार काम करने का मौका मिलता है। 

सुगंध चिकित्सा का कोर्स करने के उपरांत वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल कर इलाज करने वाले अस्पतालों, अनुसंधान और विकास संगठन, सुगंधित तेल का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाली कंपनियों, स्पा सेंटर, पांच सितारा होटलों, खानपान के क्षेत्र में, औषधि और पौष्टिक आहार बनाने वाली कंपनियों तथा सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में रोजगार की बहुत उजली संभावनाएं हैं।
किसी प्रतिष्ठित संस्थान से सुगंध विज्ञान में प्रशिक्षण लेने के बाद सुगंध चिकित्सक के रूप में स्वयं का क्लिनिक शुरू किया जा सकता है, जिसमें सौंदर्य की साज-संभाल के अलावा अन्य रोगों का इलाज किया जा सकता है। सुगंध चिकित्सक के अलावा आप सुगंधित पदार्थ परामर्शदाता और इसके उत्पादन और व्यापार के क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं। 

कहाँ से करे कोर्स-

शहनाज हुसैन वुमंस इंटरनेशनल स्कूल ऑफ ब्यूटी, ग्रेटर कैलाश, नई दिल्ली।

पिवोट पाइंट ब्यूटी स्कूल, कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली।

दिल्ली स्कूल ऑफ मैनेजमेंट सर्विस, आकाशदीप बिल्डिंग, नई दिल्ली।

सुगंध और स्वाद विकास केंद्र, मार्कण्ड नगर, कन्नौज, उत्तर प्रदेश ।

केलर एजुकेशन ट्रस्ट, वीजी वूसे कॉलेज, मुंबई।

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