Wednesday, January 6, 2016

बायोमैकेनिक्स में करियर

बायोलॉजी के स्टूडेंट्स आमतौर पर डॉंक्टर बनने का ही सपना देखते हैं, लेकिन देश में इस कोर्स की अत्यंत सीमित सीटों के कारण बहुसंख्यक युवाओं का सपना पूरा नहीं हो पाता। लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं लगाया जाना चाहिए कि बायोलॉजी सब्जेक्ट की इसके अलावा कोई अन्य करियर उपयोगिता नहीं है। हाल के वर्षों में बायोइंफॉर्मेटिक्स, बायोफिजिक्स, बायो इंजीनियरिंग, बायोकैमिस्ट्री जैसे कई नए विषयों का अस्तित्व सामने आया है। इसी क्रम में सबसे उभरता हुआ नया विषय है बायोमैकेनिक्स का।
क्या है बायोमैकेनिक्स
बुनियादी रूप से इस विषय के अंतर्गत विभिन्न जैविक प्रणालियों के कार्यकलापों का मैकेनिक्स के सिद्धांतों के आधार पर अध्ययन किया जाता है। इन जैविक प्रणालियों में मानव, पशु, वनस्पति, अंग, कोशिका आदि शामिल हैं। यानी भौतिक शास्त्र की परिभाषाओं की नजर से प्राणियों और वनस्पतियों की संरचना एवं विभिन्न अंगों की कार्यप्रणालियों को समझने का प्रयास इसमें शामिल है। दुर्घटनाओं में अंग-भंग होने अथवा कृत्रिम अंगों के विकास एवं उत्पादन से जुड़े कार्यों में इस तरह की विशेषज्ञता वाले लोगों की जरूरत पड़ती है।
एकेडेमिक बैकग्राउंड
इच्छुक युवाओं के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि उनके पास बायोलॉजी, इंजीनियरिंग अथवा सम्बद्ध विज्ञान की शाखाओं में कम से कम बैचलर्स डिग्री अवश्य हो।
एप्टिटय़ूड
फिलहाल इस क्षेत्र में दुनिया भर में अनुसन्धान और शोध कार्यकलाप जारी है, इसलिए ऐसे युवा जो रिसर्च एंड डेवलपमेंट की चुनौतियों में संतुष्टि हासिल करना चाहते हैं, उनके लिए निस्संदेह यह आकर्षक करियर विकल्प हो सकता है। एक और महत्वपूर्ण बात यह कि बायोमैकेनिक्स एक इंटर डिसिप्लिनरी सब्जेक्ट है, इसलिए युवाओं की बायोलॉजी के साथ फिजिक्स, मैथ्स अथवा इंजीनियरिंग में रुचि होनी भी जरूरी है, तभी आगे बढ़ने के रास्ते खुल सकते हैं। मेहनती, सृजनात्मक और नई सोच में आस्था रखने वाले युवाओं के लिए यह चैलेंजिंग फील्ड कहा जा सकता है।
स्पेशलाइजेशन
अन्य कार्यक्षेत्रों की तरह बायोमैकेनिक्स में भी विशेषज्ञता हासिल करने के कई तरह के अवसर हो सकते हैं। इनमें स्पोर्ट्स बायोमैकेनिक्स, बायो ट्रिबोलॉजी, कम्पेरेटिव बायो मैकेनिक्स, प्लांट बायोमैकेनिक्स,कम्प्युटेशनल बायोमैकेनिक्स, इंजरी बायोमैकेनिक्स आदि का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इस तरह की विशेषज्ञता हासिल करने के लिए मास्टर्स अथवा पीएचडी स्तर के कोर्स करने जरूरी होते हैं।
जॉब्स
बायोमैकेनिक्स का प्रयोग खासतौर पर ऑर्थोपेडिक इंडस्ट्री में कृत्रिम मानव अंगों के निर्माण, डेंटल पार्ट्स तैयार करने आदि में किया जाता है। दुनिया भर में यह इंडस्ट्री काफी तेजी से विकसित हो रही है। इस इंडस्ट्री के आर एंड डी विभागों के अलावा मैन्युफेक्चरिंग यूनिट्स में ऐसे ट्रेंड लोगों को नियुक्त किया जाता है। बायोट्रिबोलॉजी भी इसी की अन्य उपशाखा है, जिसमें ऐसे कृत्रिम अंगों को और उपयोगी एवं प्रभावी बनने के उद्देश्य से अनुसन्धान किये जाते हैं। इसके अलावा रोड एक्सीडेंट्स एवं स्पोर्ट्स से सम्बंधित दुर्घटनाओं की चिकित्सा से सम्बंधित स्पेशलाइज अस्पतालों में ऐसे विशेषज्ञों की सेवाएं काफी महत्वपूर्ण होती हैं। यही नहीं, यूनिवर्सिटी टीचिंग में भी अच्छा स्कोप हो सकता है। विभिन्न कारणों से विकलांग होने वाले लोगों की संख्या देश-दुनिया में बढम् रही है। इसका नुकसान सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उत्पादकता की हानि के तौर पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक एवं आर्थिक हानि के रूप में भी देखा जाता है। इस कारण भी इस बहुमूल्य मानव संसाधन को दोबारा मुख्य धारा में शामिल करने के उद्देश्य से समूची दुनिया में बड़े पैमाने पर सरकारी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा निवेश किया जा रहा है। एर्गोनॉमिक्स (मशक्कत में कमी करने पर आधारित विज्ञान) पर अनुसन्धान और शोध करने वाली संस्थाएं भी इस तरह के प्रशिक्षित लोगों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाती हैं।
गुरुमंत्र
इस फील्ड में सफल करियर बनाने के लिए यह आवश्यक है कि आप सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक अनुभव भी हासिल करें। इसके लिए फैकल्टी मेम्बर/सीनियर के असिस्टेंट के रूप में काम किया जा सकता है। यही नहीं, इस कार्यक्षेत्र से सम्बंधित किसी कम्पनी अथवा उसके आर एंड डी विभाग से भी पार्ट टाइम जुड़ा जा सकता है। बायोमैकेनिक्स की नेशनल और इंटरनेशनल सोसायटीज की मेम्बरशिप लेकर वर्कशॉप/सेमिनार/शॉर्ट टर्म कोर्स आदि अटेंड करने के अलावा इस क्षेत्र के प्रख्यात बायो मैकेनिक एक्सपर्ट्स से संपर्क बना कर रखा जा सकता है।
सीमापार
मास्टर्स तथा पीएचडी स्तर के कोर्सेज देश की चुनिंदा यूनिवर्सिटीज में संचालित किये जा रहे हैं। इन कोर्सेज में मास्टर्स ऑफ साइंस (स्पोर्ट्स बायोमैकेनिक्स)-तमिलनाडु फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी, चेन्नई के अलावा तमाम प्राइवेट संस्थानों में इस तरह के कोर्सेज संचालित किये जाते हैं। इनके अलावा ऐसे विदेशी संस्थानों की संख्या भी कुछ कम नहीं है। यहां विदेशी संस्थानों द्वारा तमाम तरह के शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्सेज भी ऑनलाइन संचालित किये जाते हैं।

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