Tuesday, November 17, 2015

पर्दे के पीछे का कॅरियर : सिनेमेटोग्राफी

भारत विश्व में सबसे अधिक फिल्म बनाने वाले देशों में से एक है यहां प्रतिवर्ष विभिन्न भाषाओं में लगभग 800 फिल्में बनती हैं खास यह है कि अभिनय के अलावा इससे जुड़े तमाम तकनीकी क्षेत्रों में भी स्टूडेंट्स का रुझान देखने को मिल रहा है यदि आपमें दृश्यों और लाइटिंग की समझ है, तो सिनेमेटोग्राफी बेस्ट है...

फिल्मी दुनिया का नाम आते ही ग्लैमर, अकूत पैसा और शोहरत जैसी चीजें आंखों के सामने घूमने लगती हैं लेकिन, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए जरूरी संघर्र्ष की कहानी वही लोग समझ सकते हैं, जिन्होंने यहां अपना अलग स्थान हासिल किया है लेकिन, नई पीढ़ी का उत्साह कम है और ही अपने पंखों को उड़ान देने में उन्हें किसी प्रकार की हिचक है एक सिनेमा बनाने में पर्दे के पीछे और आगे बहुत सारे लोग काम करते हैं, लेकिन इनमें से कम प्रोफेशनल्स को ही लोग जानते हैं प्यासा, कागज के फूल साहब बीवी और गुलाम जैसी क्लासिकल फिल्मों के सिनेमेटोग्राफर वी.के. मूर्ति को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था अगर आप हर साल दिए जाने वाले ऑस्कर, गोल्डन ग्लोब, ग्रैमी, नेशनल फिल्म पुरस्कारों पर गौर करें, तो हर साल ऐसे लोग सम्मानित होते मिल जाएंगे, जिन्होंने अपनी तकनीकी कला से फिल्मों में जान डाल दी यदि दृश्यों की अच्छी समझ है, तो आपके लिए सिनेमेटोग्राफी में बेहतर कॅरियर है

क्या है सिनेमेटोग्राफी
सिनेमेटोग्राफी एक टेक्निकल काम है, जो दृश्यों को जीवंत बना देता है गाइड, मुगल--आजम, पत्थर के फूल, राजू चाचा, साजन, बॉर्डर जैसी जाने कितनी ऐसी फिल्में हैं, जिन्हें उनके फिल्माए गए दृश्यों के कारण ही याद किया जाता है एक अच्छा सिनेमेटोग्राफर कहानी के हिसाब से सीन और डायरेक्टर के अनुसार कैमरा और लाइटिंग एडजेस्ट करने का काम करता है उसे विजुलाइजेशन और लाइटिंग की सटीक जानकारी होती है और उसके पास व्यावसायिक तकनीकी ज्ञान, क्रिएटिविटी का भी समायोजन होता है
जरूरी है कैमरा
सिनेमेटोग्राफी में मोशन पिक्चर कैमरे की जरूरत होती है, जो अन्य कैमरों से कहीं अलग होता है इस कैमरे का बखूबी प्रयोग वही कर सकता है, जिसने इसका अच्छी तरह से प्रशिक्षण लिया हो सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन को विजुलाइज करता है दिन, रात, सुबह, शाम, बारिश और आंधी जैसे सीन को कब और किस एंगिल से लेना है, इसमें उसे महारथ होती है आज स्टंट सीन सिनेमेटोग्राफी का बढिय़ा उदाहरण हैं इस तरह के सीनों का अधिकतर फिल्मों में बहुत उपयोग हो रहा है फिक्शन, एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्म के लिए कैमरे का कैसे प्रयोग करना है, इसकी उसे पूरी-पूरी जानकारी होती है
क्या हैं कोर्स     
देश में कई संस्थान सिनेमेटोग्राफी के कोर्स करा रहे हैं अगर आप इस कोर्स को करना चाहते हैं तो डिप्लोमा और शार्ट टर्म दोनों ही तरह के ऑप्सन्स आपके सामने हैं इसके अलावा सर्टिफिकेट और पीजी कोर्स भी किया जा सकता है सिनेमेटोग्राफी का कॅरियर महत्वपूर्ण तो है ही साथ ही साथ जिम्मेदारी का भी है इंस्टीट्यूट में स्टूडेंट को पढ़ाई के दौरान कैमरा हैडलिंग, कैमरा शॅाट, एंगल, मूवमेंट, लाईटिंग और कंपोजीशन के अलावा टेक्निकल जानकारी दी जाती हैं

शैक्षिक योग्यता
सिनेमेटोग्राफी का कोर्स करने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं या उसके समकक्ष होना जरूरी है पीजी लेबल का कोर्स तभी किया जा सकता है, जब ग्रेजुएशन कम्प्लीट हो गया हो
किनके लिए
यह काम पूरी तरह तकनीकी और कल्पना पर आधारित है, जो अपनी कल्पना के जरिए दृश्यों को जीवित करने की काबिलियत रखता है और जिसे कैमरे की सभी बारीकियों की अच्छी जानकारी है
अवसर
इस कोर्स को करने के बाद फिल्म और सीरियल में काम मिल सकता है इसके साथ-साथ एडवरटाइजिंग और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए भी आप काम कर सकते हैं
वेतन
शुरुआती दौर में एक सिनेमेटोग्राफर को  7000 से 8000 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है
प्रमुख संस्थान
·  फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया-पूना
·  सत्यजीत रॉय फिल्म इंस्टीट्यूट-मुंबई
·  सेंट्रल ऑफ रिसर्च इन आर्ट ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-दिल्ली
·  एशियन एकादमी ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन-नोएडा
·  चेन्नई फिल्म स्कूल-तमिलनाडु

सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी
दोनों के बीच तकनीकी अंतर है जब आप चलते-फिरते दृश्यों को लाइटिंग का ध्यान रखते हुए डिजिटल कैमरे में कैद करते हैं, तो यह काम सिनेमेटोग्राफी कहलाता है इसमें मोशन पिक्चर कैमरे का इस्तेमाल होता है, जो सामान्य कैमरों से अलग होता है इसे हैंडल करने के लिए आपको प्रशिक्षण लेना पडता है कैमरा प्लेसमेंट, सेट या लोकेशन पर लाइटिंग की व्यवस्था, कैमरा एंगल आदि को ध्यान में रखते हुए सिनेमेटोग्राफर डायरेक्टर के साथ सीन विजुअलाइज करता है वहीं फोटोग्राफिक फिल्म या इलेक्ट्रॉनिक सेंसर पर स्टिल या मूविंग पिक्चर्स को रिकॉर्ड करना फोटोग्राफी कहलाता है


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