Friday, October 16, 2015

केमोइंफॉर्मेटिक्स: रासायनिक सूचनाओं का प्रबंधन में करियर

केमोइंफॉर्मेटिक्स केमिस्ट्री की सबसे तेजी से विकसित होने वाली शाखा बन चुकी है। आने वाले समय में केमोइंफॉर्मेटिक्स का कोर्स करने वाले छात्रों को देश और विदेश में पर्याप्त अवसर मिलेंगे। इस बारे में बता रही हैं नमिता सिंह
इस समय हम ग्लोबल विलेज में जी रहे हैं। आईटी ने कई विधाओं को खुद से जोड़ कर उनका कायाकल्प करने का बीड़ा उठाया है। इसी प्रक्रिया के तहत आईटी का रसायन विज्ञान के साथ सम्मिलन दिन-ब-दिन परवान चढ़ता जा रहा है। इसके अंतर्गत रासायनिक सूचनाओं का संग्रहण, प्रबंधन, विश्लेषण एवं उनका समाधान संबंधी कार्य आते हैं। इस प्रचलित एवं कारगर विधा को नाम दिया गया ‘केमोइंफॉर्मेटिक्स’ अर्थात रसायन सूचना विज्ञान। केमोइंफॉर्मेटिक्स का सबसे ज्यादा उपयोग दवा बनाने वाली कंपनियां दवाओं की खोज में करती हैं। बाजार का विश्लेषण यही बता रहा है कि संभावनाओं एवं विस्तार को देखते हुए आने वाले कुछ वर्षों में यह क्षेत्र और अधिक चमकदार एवं रोजगारपरक हो सकता है, क्योंकि इसका ताल्लुक काफी हद तक आईटी से जुड़ा हुआ है।
बायोइंफॉर्मेटिक्स के दो दशक बाद केमोइंफॉर्मेटिक्स शाखा चलन में आई। आमतौर पर लोग बायोइंफॉर्मेटिक्स व केमोइंफॉर्मेटिक्स को एक ही मानते हैं, जबकि दोनों में काफी विविधता है। बायोइंफॉर्मेटिक्स में जहां कई तरह की विधाओं को शामिल किया जाता है, वहीं केमोइंफॉर्मेटिक्स उसी से निकली एक शाखा है, जिसमें ड्रग डिजाइन के प्रयोग व थ्योरी को भली-भांति समझा जाता है।
उच्च शिक्षा की दरकार
रसायन विज्ञान एवं आईटी से संबंधित होने के कारण इसके पाठय़क्रम में दाखिला लेने के लिए छात्रों को रसायन विज्ञान में कम से कम बीएससी होना चाहिए, तभी एमएससी में प्रवेश मिल पाता है। एमएससी दो वर्षीय पाठय़क्रम है। इसके उपरांत रिसर्च एवं एकेडमिक फील्ड में जाने का मार्ग प्रशस्त होता है। अधिकांश संस्थान स्नातक के पश्चात एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा एवं डिप्लोमा जैसे कोर्स भी करवाते हैं। इसकी अवधि एक से लेकर डेढ़ वर्ष तक होती है। विदेशों में सबसे ज्यादा प्रचलित एमएससी इन केमोइंफॉर्मेटिक्स है, जबकि भारत में एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा की अधिक डिमांड है। कई संस्थान डिस्टेंस लर्निंग के जरिए भी पीजी डिप्लोमा कोर्स कराते हैं। योग्यता व कोर्स अवधि रेगुलर की तरह ही होती है।
पाठ्य़क्रम 
एमएससी इन केमोइंफॉर्मेटिक्स के अंतर्गत छात्रों को विशेष रूप से डाटा बेस, प्रोग्रामिंग, वेब टेक्नोलॉजी, डाटा माइनिंग एवं कम्प्यूटर द्वारा ड्रग डिजाइनिंग आदि कार्य शामिल हैं। पाठय़क्रम के दौरान छात्रों से कई तरह के प्रायोगिक प्रशिक्षण एवं प्रबंधन संबंधी कार्य कराए जाते हैं, जबकि पीएचडी आदि पाठय़क्रमों के अंतर्गत रिसर्च वर्क में ड्रग की खोज, डिजाइन एवं उसकी कंपोजिशन का अध्ययन किया जाता है। वैसे भी केमिस्ट्री की निर्भरता दिन-प्रतिदिन कम्प्यूटर पर बढ़ती ही जा रही है। नए आने वाले छात्रों की केमिस्ट्री के प्रति रुचि को देख कर पाठ्य़क्रम की रूपरेखा काफी हद तक उचित भी है। जहां तक पीजी डिप्लोमा के पाठय़क्रम का सवाल है तो वह विभिन्न मॉडय़ूल में बांटा गया है। इसमें केमोइंफॉर्मेटिक्स की बेसिक जानकारी से लेकर मॉडर्न कॉम्बिनेशन ऑफ केमिस्ट्री, ड्रग डिजाइन, केमिकल इंफॉर्मेशन सोर्स, मेडिसिनल केमिस्ट्री आदि को विस्तार से बताया जाता है।
स्वयं से सरोकार
पाठ्य़क्रम अथवा रोजगार के लिए छात्रों को अपने अंदर कई तरह के विशिष्ट गुण लाने पड़ते हैं। सर्वप्रथम उन्हें केमिस्ट्री के प्रति रुचि बढ़ाने, कम्प्यूटर स्किल्स मजबूत करने व रिसर्च वर्क के प्रति उत्साह जागृत करना आवश्यक हो जाता है। इसके अलावा इसमें प्रोफेशनल्स को धैर्यवान व परिश्रमी होना जरूरी है, क्योंकि कई बार किसी रिसर्च अथवा प्रोजेक्ट पर काम के दौरान लंबा समय व्यतीत होता है। साथ ही टीम वर्क, अनुशासन व बाजार में बदलाव को स्वीकार करने का गुण होना भी जरूरी है।
कार्यक्षेत्र का संसार
पिछले तीन वर्षों में इस क्षेत्र में संभावनाएं काफी प्रबल हुई हैं। खासतौर पर फार्मास्यूटिकल, एग्रोकेमिकल एवं बॉयोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज में प्रशिक्षित लोगों की भारी कमी महसूस की गई है। केमोइंफॉर्मेटिक्स में एमएससी करने वाले छात्र प्रारंभ में केमोइंफॉर्मेटिक्स साइंटिस्ट, प्रोजेक्ट मैनेजर, केमोइंफॉर्मेटिक्स डेवलपर, ड्रग डिस्कवरी साइंटिस्ट, एसोसिएट रिसर्च साइंटिस्ट, कम्प्यूशनल केमिस्ट, केमिकल डाटा साइंटिस्ट, रेगुलेटरी अफेयर्स, सीनियर इंफार्मेशनल एनालिस्ट, इंफार्मेशनल ऑफिसर, डाटा ऑफिसर, सॉफ्टवेयर टैस्टर, सपोर्ट एनालिस्ट, बिजनेस एनालिस्ट कार्यक्षेत्र के अवसरों को देखते हुए निम्न क्षेत्रों में सामने आ सकते हैं-
फार्मास्यूटिकल/केमिकल इंडस्ट्री सेक्टर,
आईटी/कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर सेक्टर,
हॉस्पिटल/हेल्थ ऑथारिटी,
शोध के क्षेत्र में
आमदनी
इस क्षेत्र में आमदनी भी भरपूर होती है। शुरुआती दिनों में भले ही कुछ संघर्ष की स्थिति आ जाए, पर एक समय के बाद सब कुछ पटरी पर आ जाता है। प्रारंभ में प्रोफेशनल्स को 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। अनुभव बढ़ जाने पर यही रकम 35-40 हजार रुपए प्रतिमाह तक पहुंच जाती है। इसके अलावा फ्रीलांसिंग में प्रतिदिन या पैकेज के हिसाब से पेमेंट दिया जाता है। विदेशों में काफी आकर्षक पैकेज मिलता है।
संभावनाएं
छात्रों को रोजगार मिलने की आस एवं संभावनाओं को देखते हुए प्रमुख सरकारी एवं गैर सरकारी कंपनियों में अवसर सामने आते रहते हैं। देश के साथ-साथ विदेश में भी रोजगार के पर्याप्त अवसर मौजूद हैं। पार्ट टाइम व स्वतंत्र रूप से भी इस क्षेत्र में काम किया जा सकता है।
एक्सपर्ट्स व्यू/
देश में भी हैं बेशुमार मौकेएक समय ऐसा था, जब कोर्स करने के पश्चात छात्रों को विदेश की ओर रुख करना पड़ता था। लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। वर्तमान समय केमोइंफॉर्मेटिक्स के लिए काफी अच्छा है। सफलतापूर्वक कोर्स करने के पश्चात कई भारतीय कंपनियां छात्रों को आकर्षक पैकेज पर काम दे रही हैं। सबसे ज्यादा मौके फार्माकेमिकल में सामने आ रहे हैं, जबकि पढ़ाई के लिहाज से डिस्टेंस लर्निंग का भी चलन बढ़ा है। जिन छात्रों को डिस्टेंस लर्निंग की प्रक्रिया के तहत कोर्स समझ में नहीं आता, उन्हें फैकल्टी उपलब्ध करा कर इसके प्रमुख टॉपिक से अवगत कराया जाता है। इसमें मेल व फीमेल दोनों के लिए समान रूप से अवसर मिलते हैं। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे जो भी पढ़ें, पूरे मन से पढ़ें।
अंशुल कुमार, प्रोग्राम डायरेक्टर,
इंस्टीटय़ूट ऑफ केमोइंफॉर्मेटिक्स,
नोएडा
फैक्ट फाइल
प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान
भारतीय संस्थान
मालाबार क्रिश्चियन कॉलेज, कोझिकोड
वेबसाइट
 - www.mcccalicut.org
इंस्टीटय़ूट ऑफ केमोइंफॉर्मेटिक्स स्टडीज, नोएडा
वेबसाइट
 - www.cheminformaticscentre.org
जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
वेबसाइट
 - www.jamiahamdard.ac.in
विदेशी संस्थान
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी,
वेबसाइट
 -  www.jhu.edu
मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी,
वेबसाइट
 - www.manchester.ac.uk
शेफिल्ड यूनिवर्सिटी,
वेबसाइट
 - www.shef.ac.uk/courses
इंडियाना यूनिवर्सिटी,
वेबसाइट
 - www.informatics.indiana.edu

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